Sun in all houses of kundali
BLOG NO.13
"Sun" (सूर्य) का एक कुंडली में विशेष महत्व है और यह ज्योतिष में आत्मा, प्रतिष्ठा, ऊर्जा, और जीवन की शक्ति का प्रतीक है। जब सूर्य किसी की कुंडली में "सभी भावों" (houses) में स्थित होता है, तो उसका प्रभाव हर भाव के अर्थ और उससे जुड़े क्षेत्रों पर पड़ता है। आइए देखते हैं सूर्य का प्रभाव 12 भावों में: 👇
1. प्रथम भाव (लग्न)
आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करता है।
जातक में नेतृत्व गुण होते हैं।
अहंकार और स्वार्थ भी बढ़ सकता है।
2. द्वितीय भाव
वाणी प्रभावशाली बनती है।
परिवार में सम्मान मिलता है।
धन अर्जन में सफलता, पर खर्च भी अधिक हो सकता है।
3. तृतीय भाव
साहस और संचार कौशल को बढ़ाता है।
भाई-बहनों के साथ संबंध मजबूत हो सकते हैं।
छोटे प्रयासों में बड़ी सफलता मिलने की संभावना।
4. चतुर्थ भाव
माता से लाभ और सम्मान मिलता है।
संपत्ति और वाहन की प्राप्ति हो सकती है।
मानसिक शांति में कमी हो सकती है।
5. पंचम भाव
शिक्षा और बुद्धि पर सकारात्मक प्रभाव।
संतान से लाभ और गर्व की अनुभूति।
रचनात्मकता और कला में रुचि।
6. षष्ठ भाव
शत्रुओं पर विजय।
स्वास्थ्य में सुधार लेकिन कभी-कभी पेट संबंधी समस्याएं।
सरकारी या कानूनी मामलों में सफलता।
7. सप्तम भाव
विवाह में प्रतिष्ठित साथी की संभावना।
साझेदारी में सफलता लेकिन अहंकार से विवाद हो सकता है।
रिश्तों में गर्मजोशी और अधिकार की भावना।
8. अष्टम भाव
रहस्यमय और गुप्त ज्ञान की रुचि।
अचानक लाभ या हानि की संभावना।
स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है।
9. नवम भाव
धर्म, आध्यात्म और भाग्य को बढ़ावा।
पिता से लाभ और आशीर्वाद।
विदेश यात्रा और उच्च शिक्षा में सफलता।
10. दशम भाव
करियर और पेशे में उन्नति।
सरकारी नौकरी या उच्च पद की संभावना।
समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा।
11. एकादश भाव
इच्छाओं और लाभ की पूर्ति।
दोस्तों और नेटवर्क से सहयोग।
आय के कई स्रोत हो सकते हैं।
12. द्वादश भाव
आध्यात्मिकता और ध्यान की प्रवृत्ति।
विदेश यात्रा और वहां से लाभ।
खर्च बढ़ सकते हैं लेकिन अच्छे कारणों से।
निष्कर्ष:
सूर्य हर भाव में अलग प्रभाव देता है, जो जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति, दृष्टि, और योग पर निर्भर करता है। यदि सूर्य उच्च राशि में या शुभ ग्रहों के साथ हो, तो इसके परिणाम और भी सकारात्मक हो सकते हैं।
Comments