RESULT OF KETU IN ALL HOUSES [VEDIC ASTROLOGY/HINDI BLOG]
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KETU IN ALL HOUSES OF KUNDALI ✨ |
केतु को वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह आध्यात्मिकता, त्याग, रहस्य, और कर्मों के फल को दर्शाता है। केतु को मोक्ष का कारक भी कहा जाता है। यह ग्रह जातक के जीवन में मानसिक शांति, रहस्यमय घटनाओं और अद्भुत अनुभवों का कारक बनता है।
केतु के बारहों भावों में प्रभाव:⬇️
1. केतु प्रथम भाव में (लग्न)
प्रभाव: प्रथम भाव में केतु होने से जातक रहस्यमय स्वभाव का हो सकता है। यह व्यक्तित्व को अनूठा और असामान्य बनाता है। जातक आध्यात्मिक, आत्म-विश्लेषण करने वाला और शांतिप्रिय हो सकता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक गहरे विचारों वाला और ध्यान व साधना में रुचि रखने वाला होता है।
नकारात्मक पक्ष: स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, और आत्मविश्वास की कमी का अनुभव हो सकता है।
2. केतु द्वितीय भाव में
प्रभाव: द्वितीय भाव धन, वाणी और परिवार का भाव है। यहां केतु का प्रभाव जातक के धन और परिवार पर पड़ता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक अपनी वाणी से प्रभावशाली हो सकता है और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से धन का उपयोग करता है।
नकारात्मक पक्ष: परिवार से दूर रहने की संभावना हो सकती है। वाणी कठोर या असामान्य हो सकती है।
3. केतु तृतीय भाव में
प्रभाव: तृतीय भाव साहस, परिश्रम और संचार का भाव है। इस भाव में केतु जातक को साहसी और रहस्यमयी बनाता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होता है और गुप्त तरीकों से अपने लक्ष्य हासिल करता है।
नकारात्मक पक्ष: भाई-बहनों से संबंध मध्यम हो सकते हैं। प्रयासों में रुकावटें आ सकती हैं।
4. केतु चतुर्थ भाव में
प्रभाव: चतुर्थ भाव सुख, माता और स्थायी संपत्ति का कारक है। इस भाव में केतु के कारण जातक के पारिवारिक सुख में कमी आ सकती है।
सकारात्मक पक्ष: जातक आध्यात्मिक शांति की खोज में रहता है और सांसारिक सुखों को त्याग सकता है।
नकारात्मक पक्ष: मातृ सुख में कमी, मानसिक तनाव और घर-परिवार में अस्थिरता हो सकती है।
5. केतु पंचम भाव में
प्रभाव: पंचम भाव बुद्धि, शिक्षा और संतान का भाव है। केतु यहां जातक की रचनात्मकता को बढ़ा सकता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक गुप्त विद्याओं और आध्यात्मिक शिक्षा में पारंगत हो सकता है।
नकारात्मक पक्ष: संतान सुख में बाधा, शिक्षा में रुकावटें और प्रेम संबंधों में समस्याएं हो सकती हैं।
6. केतु छठे भाव में
प्रभाव: छठा भाव रोग, शत्रु और ऋण का भाव है। इस भाव में केतु जातक को शत्रुओं पर विजय प्रदान करता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक रोगों और शत्रुओं पर काबू पाने में सक्षम होता है। यह स्थान केतु के लिए शुभ माना जाता है।
नकारात्मक पक्ष: स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अचानक हो सकती हैं। कर्ज लेने से बचना चाहिए।
7. केतु सप्तम भाव में
प्रभाव: सप्तम भाव विवाह, साझेदारी और जनसंपर्क का भाव है। इस भाव में केतु विवाह जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक अपने जीवनसाथी के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकता है।
नकारात्मक पक्ष: वैवाहिक जीवन में तनाव, साझेदारी में विवाद और सामाजिक जीवन में अस्थिरता हो सकती है।
8. केतु अष्टम भाव में
प्रभाव: अष्टम भाव गुप्त विद्याओं, दीर्घायु और मृत्यु के रहस्यों का कारक है। यह स्थान केतु के लिए स्वाभाविक रूप से अनुकूल है।
सकारात्मक पक्ष: जातक गुप्त विज्ञान, ज्योतिष, और तंत्र-मंत्र में विशेषज्ञ हो सकता है। अचानक लाभ हो सकता है।
नकारात्मक पक्ष: मानसिक तनाव, दुर्घटनाओं की संभावना, और जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव।
9. केतु नवम भाव में
प्रभाव: नवम भाव धर्म, भाग्य और विदेश यात्रा का भाव है। यहां केतु जातक को धर्म और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों वाला हो सकता है। विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
नकारात्मक पक्ष: भाग्य का देर से उदय हो सकता है। पिता से संबंध मध्यम रह सकते हैं।
10. केतु दशम भाव में
प्रभाव: दशम भाव करियर, सामाजिक स्थिति और कर्म का भाव है। इस भाव में केतु जातक को अद्भुत करियर प्रदान कर सकता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक अपने करियर में गुप्त तरीकों से सफलता प्राप्त कर सकता है। यह स्थान नेतृत्व क्षमता देता है।
नकारात्मक पक्ष: करियर में अस्थिरता, और कार्यक्षेत्र में अचानक परिवर्तन हो सकते हैं।
11. केतु एकादश भाव में
प्रभाव: एकादश भाव आय, इच्छाएं और लाभ का भाव है। इस भाव में केतु आर्थिक लाभ में वृद्धि कर सकता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक गुप्त साधनों से धन अर्जित कर सकता है। इच्छाओं की पूर्ति होती है।
नकारात्मक पक्ष: मित्रता में धोखा और लाभ के अवसरों में अस्थिरता हो सकती है।
12. केतु द्वादश भाव में
प्रभाव: द्वादश भाव मोक्ष, व्यय और विदेश यात्राओं का भाव है। इस भाव में केतु जातक को मोक्ष की ओर ले जा सकता है।
सकारात्मक पक्ष: जातक गहरे ध्यान और साधना में रुचि रखता है। यह स्थान अध्यात्मिक उन्नति के लिए उत्तम है।
नकारात्मक पक्ष: अनावश्यक खर्च, विदेश में कठिनाई और मानसिक तनाव हो सकता है।
केतु का प्रभाव हमेशा रहस्यमय और गहरा होता है। यह ग्रह जातक को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर प्रेरित करता है। लेकिन, इसके प्रभाव को समझने के लिए कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति, महादशा और अंतर्दशा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। ज्योतिषीय उपायों से केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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