RAHU IN ALL HOUSES OF KUNDALI [VEDIC ASTROLOGY/HINDI BLOG]
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राहु का ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह छाया ग्रह है और इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में रहस्यमय, आकस्मिक और परिवर्तनशील घटनाएँ घटित होती हैं। राहु का प्रत्येक भाव में अलग-अलग प्रभाव होता है। राहु के बारह भावों में स्थित होने के प्रभाव:⬇️
प्रथम भाव में राहु (लग्न में राहु)
प्रथम भाव व्यक्ति का व्यक्तित्व, स्वभाव और जीवन की दिशा को दर्शाता है। राहु यहाँ होने पर व्यक्ति आकर्षक, चालाक, और महत्वाकांक्षी हो सकता है। यह व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को लेकर अत्यधिक जागरूक होता है।
सकारात्मक प्रभाव: व्यक्ति को समाज में ख्याति और प्रतिष्ठा मिल सकती है।
नकारात्मक प्रभाव: अहंकार, अस्थिरता और स्वार्थ की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
उपाय: राहु के मंत्र का जाप करें और गरीबों को दान दें।
द्वितीय भाव में राहु
द्वितीय भाव धन, परिवार और वाणी का कारक है। राहु यहाँ होने पर व्यक्ति अपने बोलचाल में कुशल और परिवार में प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला हो सकता है।
सकारात्मक प्रभाव: धन की अप्रत्याशित प्राप्ति हो सकती है।
नकारात्मक प्रभाव: परिवार में विवाद और असत्य बोलने की आदत विकसित हो सकती है।
उपाय: स्वच्छता का ध्यान रखें और चंद्रमा को मजबूत करें।
तृतीय भाव में राहु
यह भाव साहस, पराक्रम और छोटे भाई-बहनों का कारक है। राहु यहाँ साहसी व्यक्तित्व और जोखिम लेने की प्रवृत्ति प्रदान करता है।
सकारात्मक प्रभाव: व्यक्ति को मीडिया, संचार और व्यापार में सफलता मिलती है।
नकारात्मक प्रभाव: व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी और स्वार्थी हो सकता है।
उपाय: भगवान गणेश की पूजा करें और काले तिल का दान करें।
चतुर्थ भाव में राहु
चतुर्थ भाव मातृ सुख, संपत्ति और मन की शांति का प्रतिनिधित्व करता है। राहु यहाँ हो तो व्यक्ति को संपत्ति और वाहन के मामले में लाभ हो सकता है।
सकारात्मक प्रभाव: विदेश में संपत्ति खरीदने का योग बनता है।
नकारात्मक प्रभाव: मानसिक अशांति और माता से संबंधों में समस्या हो सकती है।
उपाय: दूध का दान करें और काले वस्त्र न पहनें।
पंचम भाव में राहु
यह भाव शिक्षा, संतान और रचनात्मकता का है। राहु यहाँ होने पर व्यक्ति चतुर और प्रौद्योगिकी में निपुण हो सकता है।
सकारात्मक प्रभाव: व्यक्ति को उच्च शिक्षा और रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
नकारात्मक प्रभाव: संतान संबंधी समस्याएँ और शिक्षा में बाधा।
उपाय: भगवान शिव की पूजा करें और गाय को चारा खिलाएँ।
षष्ठम भाव में राहु
षष्ठम भाव रोग, शत्रु और ऋण का कारक है। राहु यहाँ होने पर व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
सकारात्मक प्रभाव: रोगों से छुटकारा और शत्रुओं पर जीत।
नकारात्मक प्रभाव: स्वास्थ्य समस्याएँ और कानूनी विवाद।
उपाय: सरसों का तेल दान करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
सप्तम भाव में राहु
सप्तम भाव विवाह, साझेदारी और व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है। राहु यहाँ विवाह जीवन में जटिलता और व्यापार में अप्रत्याशित लाभ दे सकता है।
सकारात्मक प्रभाव: व्यापार में विदेशी साझेदारी और लाभ।
नकारात्मक प्रभाव: वैवाहिक जीवन में तनाव और अस्थिरता।
उपाय: पत्नी का सम्मान करें और दान-पुण्य करें।
अष्टम भाव में राहु
यह भाव दीर्घायु, रहस्य और आकस्मिक घटनाओं का है। राहु यहाँ व्यक्ति को रहस्यात्मक और गूढ़ विज्ञान में रुचि प्रदान करता है।
सकारात्मक प्रभाव: शोध और अनुसंधान में सफलता।
नकारात्मक प्रभाव: अचानक दुर्घटनाएँ और स्वास्थ्य समस्याएँ।
उपाय: पानी से भरा हुआ नारियल नदी में प्रवाहित करें।
नवम भाव में राहु
नवम भाव धर्म, भाग्य और विदेश यात्रा का कारक है। राहु यहाँ व्यक्ति को धर्म से विचलित और विदेश में सफलता प्रदान करता है।
सकारात्मक प्रभाव: उच्च शिक्षा और विदेश यात्रा।
नकारात्मक प्रभाव: धर्म से संबंधित गलतफहमी और भाग्य में देरी।
उपाय: गुरुवार का व्रत रखें और पुखराज धारण करें।
दशम भाव में राहु
यह भाव करियर, समाज में स्थान और पिता का है। राहु यहाँ व्यक्ति को करियर में उच्च सफलता दिला सकता है।
सकारात्मक प्रभाव: व्यक्ति को सरकारी नौकरी या राजनीति में सफलता।
नकारात्मक प्रभाव: करियर में उतार-चढ़ाव और समाज में आलोचना।
उपाय: नीले कपड़े का दान करें और भगवान शनिदेव की पूजा करें।
एकादश भाव में राहु
यह भाव आय, लाभ और दोस्तों का है। राहु यहाँ व्यक्ति को धनवान और समाज में लोकप्रिय बनाता है।
सकारात्मक प्रभाव: अप्रत्याशित लाभ और धन की वृद्धि।
नकारात्मक प्रभाव: गलत साधनों से धन अर्जित करने की प्रवृत्ति।
उपाय: चाँदी धारण करें और बड़ों का आशीर्वाद लें।
द्वादश भाव में राहु
द्वादश भाव व्यय, विदेश यात्रा और आध्यात्मिकता का है। राहु यहाँ व्यक्ति को विदेश यात्रा और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
सकारात्मक प्रभाव: विदेश में नौकरी और आध्यात्मिक सफलता।
नकारात्मक प्रभाव: अनावश्यक खर्च और अकेलापन।
उपाय: हरे मूंग का दान करें और मंत्रों का जाप करें।
नोट - राहु की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है। इसके अच्छे या बुरे प्रभाव को समझने के लिए कुंडली का समग्र विश्लेषण जरूरी है। राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से उपाय और मंत्र जाप करना चाहिए।
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