ARIES ASCENDENT SUN IN ALL HOUSES
मेष लग्न में सूर्य का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली के सभी 12 भावों में 👇
![]() |
SUN 🌞 |
1. प्रथम भाव (लग्न):
सूर्य यदि मेष लग्न के प्रथम भाव में हो तो यह व्यक्ति को साहसी, आत्मविश्वासी और नेतृत्व क्षमता से संपन्न बनाता है। सूर्य मेष राशि में उच्च का होता है, इसलिए यह व्यक्ति को प्रसिद्धि, आत्मबल और दृढ़ इच्छाशक्ति प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति अपने विचारों में स्पष्ट और प्रभावी होता है। हालांकि, कभी-कभी यह व्यक्ति अहंकारी या अधिक अधिकारवादी भी हो सकता है।
2. द्वितीय भाव (धन भाव):
द्वितीय भाव में सूर्य व्यक्ति को वाणी में तेज और प्रभावशाली बनाता है। ऐसा व्यक्ति अपनी संपत्ति और परिवार को लेकर बहुत संवेदनशील होता है। वित्तीय मामलों में यह व्यक्ति स्थिर और मेहनती होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपनी प्रतिभा और बुद्धिमत्ता से धन अर्जित करता है। लेकिन, यदि सूर्य अशुभ हो तो परिवार में कलह या धन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
3. तृतीय भाव (पराक्रम भाव):
यहां सूर्य व्यक्ति को साहसी, परिश्रमी और आत्मनिर्भर बनाता है। ऐसा व्यक्ति अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। छोटे भाई-बहनों के साथ संबंध मधुर रहते हैं, लेकिन कभी-कभी वाणी की कठोरता से मतभेद भी हो सकते हैं। यह व्यक्ति लेखन, संवाद, मीडिया और विपणन क्षेत्रों में सफलता पाता है।
4. चतुर्थ भाव (सुख भाव):
चतुर्थ भाव में सूर्य व्यक्ति को माता से विशेष लगाव देता है। ऐसा व्यक्ति अपने घर और वाहन के मामलों में ध्यान देता है। यह व्यक्ति विलासिता और संपत्ति का सुख प्राप्त करता है। हालांकि, कभी-कभी मातृ पक्ष से असहमति या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी सूर्य का प्रभाव अनुकूल रहता है।
5. पंचम भाव (विद्या भाव):
पंचम भाव में सूर्य व्यक्ति को बुद्धिमान और सृजनशील बनाता है। यह व्यक्ति शिक्षा, संतान और सृजनात्मक कार्यों में सफलता प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति अपनी संतान से प्रेम करता है और उनका मार्गदर्शन करता है। यह भाव व्यक्ति को नेतृत्व क्षमता और कलात्मक प्रतिभा भी प्रदान करता है। लेकिन सूर्य की अशुभ स्थिति संतान संबंधी समस्याएं या मानसिक तनाव दे सकती है।
6. षष्ठम भाव (रोग भाव):
षष्ठम भाव में सूर्य व्यक्ति को रोगों से लड़ने की ताकत देता है। ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और कठिन परिस्थितियों में भी डटा रहता है। यह व्यक्ति सरकारी क्षेत्र या न्यायालय से जुड़े कार्यों में सफल होता है। हालांकि, अशुभ सूर्य से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे हृदय रोग या आंखों की समस्या हो सकती हैं।
7. सप्तम भाव (जीवनसाथी भाव):
सप्तम भाव में सूर्य जीवनसाथी के साथ संबंधों को प्रभावित करता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति अधिकारपूर्ण और कर्तव्यनिष्ठ होता है। यह भाव साझेदारी के कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यदि सूर्य शुभ हो तो व्यक्ति एक मजबूत और सम्मानजनक संबंध बनाता है। लेकिन सूर्य की अशुभ स्थिति वैवाहिक जीवन में मतभेद और संघर्ष उत्पन्न कर सकती है।
8. अष्टम भाव (आयु भाव):
अष्टम भाव में सूर्य व्यक्ति को गूढ़ ज्ञान और रहस्यमयी विषयों में रुचि देता है। यह व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी जीने की क्षमता रखता है। यह भाव जीवन में अचानक लाभ या हानि का संकेत देता है। व्यक्ति ज्योतिष, अनुसंधान या आध्यात्मिक विषयों में रुचि रखता है। लेकिन सूर्य की अशुभ स्थिति दुर्घटनाओं, स्वास्थ्य समस्याओं और मानसिक तनाव का कारण बन सकती है।
9. नवम भाव (धर्म भाव):
नवम भाव में सूर्य व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक बनाता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में उच्च आदर्शों और नैतिक मूल्यों को महत्व देता है। यह व्यक्ति शिक्षण, परामर्श और धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त करता है। पिता के साथ अच्छे संबंध होते हैं और उनका मार्गदर्शन प्राप्त होता है। अशुभ सूर्य से धार्मिक कार्यों में विघ्न या पिता के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
10. दशम भाव (कर्म भाव):
दशम भाव में सूर्य व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में उच्च पद और सम्मान दिलाता है। यह व्यक्ति महत्वाकांक्षी और कर्मठ होता है। सूर्य के प्रभाव से यह व्यक्ति सरकारी या प्रशासनिक सेवाओं में सफल होता है। पिता का सहयोग और प्रेरणा इस भाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि सूर्य अशुभ हो तो कार्यक्षेत्र में तनाव या प्रतिष्ठा का नुकसान हो सकता है।
11. एकादश भाव (लाभ भाव):
एकादश भाव में सूर्य व्यक्ति को इच्छित लाभ और मित्रों का सहयोग प्रदान करता है। यह व्यक्ति अपने लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम होता है। यहां सूर्य व्यक्ति को बड़े और प्रभावशाली मित्रों का साथ देता है। वित्तीय दृष्टि से यह भाव समृद्धि का सूचक है। लेकिन, अशुभ सूर्य से मित्रों के साथ मतभेद या आर्थिक योजनाओं में रुकावट आ सकती है।
12. द्वादश भाव (व्यय भाव):
द्वादश भाव में सूर्य व्यक्ति को आध्यात्मिक और परोपकारी बनाता है। ऐसा व्यक्ति विदेश यात्राओं, ध्यान और साधना में रुचि रखता है। यह भाव खर्चों और हानि का भी संकेत देता है। शुभ सूर्य व्यक्ति को परोपकारी और त्यागमय बनाता है, जबकि अशुभ सूर्य अनावश्यक खर्च, नींद की कमी और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।
निष्कर्ष:
मेष लग्न में सूर्य का प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति को ऊर्जावान, आत्मविश्वासी और महत्वाकांक्षी बनाता है। प्रत्येक भाव में सूर्य का प्रभाव उसके शुभ और अशुभ स्थिति पर निर्भर करता है। उचित ज्योतिषीय उपायों और ध्यान से सूर्य के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
NOTE - FOR ACCURATE PREDICTION CHECK YOUR FULL NATAL CHART ✔️✔️
Comments